Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi
बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर निबन्ध
सदियों से हमारे देश भारत में बेटियों को लक्ष्मी देवी का दर्जा दिया जाता रहा है लक्ष्मी यानी धन, ऐश्वर्य एंव सुख समृधि की देवी जिनके आने से ही से ही घरो में खुशिया आ जाती है पूरा परिवार खुशहाल हो जाता है ठीक उसी प्रकार बेटियों के जन्म से लोगो में अपरम्पार खुशिया होती थी लेकिन समय के बीतने के साथ ही कुछ सामाजिक कुरूतियो के चलते इन सामाजिक कुरूतियो का कोपभाजन इन बेटियों को ही उठाना पड़ा है,
इन सामाजिक कुरूतियो में दहेज़ प्रथा, बाल विवाह, बेटियों की अशिक्षा, समाज में बराबर का हिस्सा न होना, भूर्ण हत्या, सामजिक शोषण, यौन शोषण जैसे अनेको बुराईयों के चलते आज के समय में अब यही बेटिया इस समाज में खुद को सुरक्षित नही पाती है और इन्ही बुराईयों से इन बेटियों को बचाने के लिए हमारे देश में अनेको प्रयास भी किये जाते रहे है जिसका जीता जागता उदाहरण वर्तमान में बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना | Beti Bacaho Beti Padhao भी है, तो चलिए इस पोस्ट के जरिये Beti Bacaho Beti Padhao Essay in Hindi | beti bachao beti padhao nibandh | बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान पर प्रेरित हिंदी निबन्ध | बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ essay in hindi | बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ essay | बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ speech पर निबन्ध जानते है.
बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर हिंदी में निबन्ध
Beti Bacaho Beti Padhao Essay in Hindi
हमारे देश में खासकर दहेज़ प्रथा एक ऐसी कुप्रथा है जिसके चलते बेटियों के विवाह में बहुत अधिक धन देना पड़ता है जो की एक गरीब माँ बाप के लिए इस दहेज़ प्रथा को निर्वहन करना आसान नही होता है जिसके चलते बेटियों के जन्म को एक गरीब के लिए अभिशाप माना जाने लगा जिसका दुष्परिणाम यह हुआ की बच्चियों के जन्म या जन्म से पहले ही उन्हें गर्भ में मार दिया जाता है,
क्यूकी अगर कोई गरीब किसी तरह अपनी बच्ची की परवरिश कर भी दिया तो अप्पने इस प्यारी सी बेटी के शादी के लिए इतने धन कहा से लाएगा और यदि कम धन के चलते किसी तरह अपनी बच्ची की शादी कर भी दिया तो दहेज़ रूपी इस राक्षस के चलते उस बच्ची को दहेज़ के चलते मार या जला दी जाती है यानी हर हाल में इन सामाजिक कुरूतियो का कोपभाजन इन प्यारी बेटियों को ही होना पड़ता है.
लेकिन अब इन बेटियों के बचाव और सुरक्षित भविष्य के लिए हमारे देश की सरकारे नई नई योजनाये भी ला रही है जिनमे बेटियों की जीवन रक्षा और उनके जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है जिसे बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के नाम से जाना गया है जिसका मुख्य मकसद बेटियों की जीवन की रक्षा के साथ साथ बेटियों को समाज में उचित शिक्षा और एक समान अधिकार भी मिले.
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान पर एक प्रेरित करने वाली कहानी
Beti Bacaho Beti Padhao Kahani Hindi
हमारे देश में किसी मुद्दे की बात हो और फिल्म जगत इससे कभी अछुता नही रहा है आज आप सबको हम बेटी बचाओ बेटी पढाओ के तहत एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हु जिसे सुनकर आप भी खुद को बेटियों के सम्मान करने में पीछे नही रहेगे.
Beti Bacaho Beti Padhao Essay in Hindi – एक तरफ जहा आज भी हमारे देश में बेटियों को दहेज़ प्रथा के चलते इन्हें अभिशाप समझा जाता है जिनके जन्म के बाद ही इन्हें कूड़े या कचरे के ढेर पर फेक दिया जाता है लेकिन इन सब से परे हमारे देश में ऐसे महान लोग भी है इन घटनाओ को लोगो के लिए खुद को एक आदर्श के रूप में स्थापित किये हुए है इसी कड़ी में बालीवूड के मशहुर अभिनेता मिथुन चक्रवती का नाम आता है जिन्होंने अपने रियल जीवन में एक ऐसा काम किया है जिनसे आज के माँ बाप प्रेरणा ले सकते है.
वैसे तो मिथुन के 3 बेटे है लेकिन यह बात उन दिनों की है जब एक दिन मिथुन चक्रवती न्यूजपेपर पढ़ रहे थे की उन्हें एक ऐसे न्यूज़ का पता चला जिसमे लिखा गया था की किसी ने अपनी जन्मजात बच्ची को कूड़े के ढेर में फेक दिया है जिसे कोई भी अपनाना नही चाहता था फिर बिना देर किये मिथुन चक्रवती अपनी पत्नी योगिता बाली के साथ उस स्थान पर पहुच गये और फिर कानूनी प्रकिया पूरी करते हुए उस प्यारी सी बच्ची को माँ बाप के रूप में अपना नाम दिया उअर उस बच्ची को गोद ले लिया जो की हमारे समाज के ऐसे लोग के लिए एक मिशाल है जो जन्म देते ही अपनी जान सी प्यारी बच्चियों को भी कूड़े के ढेर में फेक देते है.
लेकिन इन सब से परे मिथुन चक्रवती ने अपने बेटो से भी ज्यादा उस प्यारी बच्ची को अपना प्यार दिया और उनकी अच्छे से परवरिश भी कर रहे है और यही प्यारी बच्ची अब दिशानी चक्रवती के नाम से जानी जाती है जो की जल्द ही पढाई पूरी करके अपने पिता के कदमो पर चलते हुए फिल्मो में भी एंट्री कर सकती है.
हमने ये कहानी आप सबको इसलिए बताया की अक्सर आप लोग तो फ़िल्मी पर्दे पर हमे ऐसी कहानिया खूब देखने को मिलती है लेकिन वास्तविक जीवन में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है जरा सोचिये अगर समाज के ऐसे लोग आगे न आये तो भला इन बच्चियों की परवरिश के लिए कौन जिम्मेदार होंगा कौन इन बच्चियों को पढ़ायेगा.
बेटी बचाओ बेटी पढाओ का महत्व
Beti Bacaho Beti Padhao Ka Mahatva
Beti Bacaho Beti Padhao Essay in Hindi – अक्सर कहा जाता है की “बेटी है तो कल है”, जरा सोचिये अगर हमारे समाज में बेटिया ही नही रहेगी तो फिर मानव जाति का अंत ही हो जायेया, क्यूकी वंश को आगे बढ़ाने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है जरा सोचिये बहु तो सब लाना चाहते है लेकिन बेटियों को कोई नही पालना चाहता है यदि सब अपनी बेटियों को ही मार देंगे तो फिर बहु कहा से लायेगे ? यह कथन हमारे समाज की उस सच्चाई को दिखाता है की आज भी इन बेटियों के रूप एक लड़की के जन्म को तिरस्कार के ही रूप में देखा जाता है.
Beti Bacaho Beti Padhao Essay in Hindi – एक बाप अपने बेटी की गर्भ में हत्या कराना चाहता है तो सुनिए उस बेटी के मुख से क्या निकलता है “ पापा मुझे मत मारो, मै भी तो आपके इस प्यारे परिवार रूपी बगीचे का एक फूल ही तो हु, भले ही आप मुझे नही चाहते तो कोई नही पापा जरा सोचिये पापा, जैसे मै अपने पैरो पर चलना सीख जाउंगी सबसे पहले मै ही अपने इन नन्हे नन्हे हाथो से आपके लिए दौड़ कर मै ही पानी लाउंगी पापा, आप को जब कोई जरूरत होगी सबसे पहले मै ही आपके दुःख में हाथ बटाउंगी पापा.
आप मुझे भले ही मुझे अपनी परी नही बनाकर रखना चाहते है कोई नही पापा, मै तो अपने जीवन के बदले आपसे कभी कुछ न मागूगी और न ही कोई ऐसी इच्छा भी रखुगी जिससे आपको कोई तकलीफ हो, मै तो आप लोगो के लिए जीवन भर सेवा धर्म निभाउंगी, जब तक आपके पास रहूंगी आपको तकलीफ नही आने दूंगी और ससुराल में जाने के बाद भी आपके मान मर्यादा को मै ही आगे हमेसा बढ़ाउंगी पापा, और जब कोई तकलीफ हो पापा मुझे एक बार पुकार लेना मै कही भी रहू दौड़ी चली आउंगी पापा, बस आप मुझे इस दुनिया में आने दो, मुझे आप एक जीवन देंगे और फिर मैं आपके दिए इस जीवन से आपका हमेसा मान बढ़ाउंगी पापा”
भले ही उपरोक्त बाते काल्पनिक हो सकती है लेकिन एक बेटी अपने पूरे जीवन में हमेसा त्यागभाव से सदैव दुसरो की सेवा में तत्पर रहती है.
इसलिए हर माता पिता को अपने बेटे और बेटी में कोई फर्क न करते हुए अपनी बेटियों को भी जीवन जीने का अधिकार देना चाहिए और बेटियों को भी शिक्षा जरुर दिलानी चाहिए क्यूकी जब एक बेटी पढ़ती है तो दो परिवार मजबूत होते है.
आज के समय में बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना
Beti Bacaho Beti Padhao Yojna in Hindi
वैसे देखा जाय तो बेटी बचाओ बेटी पढाओ कोई एक योजना नही है यह समय के मांग की जरूरत है जिस प्रकार हमारे समाज में चिकित्सा क्षेत्र में नये नये आविष्कार हुए है जिनके चलते अब गर्भ में पता लगा लिया जाता है की जो गर्भ में पल रहा है वह बेटी है या बेटा, अगर बेटी है तो लोग गर्भ में ही बेटियों कोमार दिया जा रहा है,
जिसके चलते कन्या भ्रूण हत्या में बहुत अधिक वृद्धि आई है जो की एक बहुत चिंताजनक और सोचने वाली बात है आज भी हमारे समाज में यह समझा जाता है अगर बेटा हुआ तो वह पढ़लिखकर परिवार का नाम रोशन करेगा और पानी कमाई से परिवार को आगे बढ़ाएगा लेकिन लोग यह भूल जाते है अगर इन बेटियों को भी उचित शिक्षा और सम्मान मिले तो कभी भी ये बेटिया भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नही रहती है..
इसलिए यदि यह कहा जाय की बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना नही हम सबकी एक जिम्मेदारी है तो इसमें कोई गलत नही है यदि हम सभी एक अच्छे समाज का निर्माण करना चाहते है तो हम सबका यही फर्ज बनता है हम इन बेटियों को भी पढाये और उन्हें इतना सशक्त बनाये की खुद गर्व से कह सके की देखो वह हमारी बेटी है जो इतना बड़ा काम कर रही है खुद को गौरवान्वित करने वाली बात होंगी.
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