Swami Vivekanand Ki Kahani
स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानियां
स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति के ऐसे महान विद्वान थे जिनकी ज्ञान के प्रकाश से सम्पूर्ण जगत में भारत के ज्ञान का प्रकाश फैला था एक सन्यासी के रूप में स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान से युक्त ग्रंथो की रचना करके युवाओं में जीने की एक नयी राह दिखाई, स्वामी विवेकानंद का जीवन ही सबके लिए एक सीख का माध्यम है तो आईये Swami Vivekanand के जीवन से जुडी घटनाओं को कहानियो Vivekanand Ki Kahani के रूप में जानते है जिनसे हमे जीवन जीने की बहुत बड़ी सीख मिलती है.
स्वामी विवेकानंद की कहानी
Swami Vivekanand Ki Kahani
पहली कहानी – नारी का सम्मान
Swami Vivekanand की प्रसिद्धि देश विदेशो में फैली हुई थी जिसके कारण एक बार एक विदेशी महिला उनके विचारो से प्रभावित होकर उनके पास आयी और स्वामी विवेकानंद से बोली की मै आपसे शादी करना चाहती हु ताकि आपके जैसा ही मुझे गौरवशाली पुत्र की प्राप्ति हो. जिससे हमारा पुत्र बड़ा होकर इस संसार को ज्ञान की प्राप्ति कराये और मेरा नाम रोशन करे.
इसपर स्वामी विवेकानंद जी बोले की क्या आप जानती है की “मै एक सन्यासी हु भला मै कैसे शादी कर सकता हु अगर आप चाहो तो हमे आप अपना पुत्र बना ले. जिससे मेरा सन्यास भी नही टूटेगा और आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल जाएगा”.
इतना सुनते ही वह विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के चरणों में गिर पड़ी और बोली धन्य है आप. आप साक्षात् ईश्वर के रूप के सामान है जो किसी भी परिस्थिति में भी आप अपने धर्म के मार्ग से विचलित नही होते है.
कहानी से शिक्षा –
स्वामी विवेकानंद के इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की सच्चा पुरुष वही होता है की जो हर परिस्थिति में भी नारी का सम्मान करे……
स्वामी विवेकानंद की कहानी – लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना
Swami Vivekananda Ki Kahani –एक बार स्वामी विवेकानंद जी अपने आश्रम में थल रहे थे की एक व्यक्ति उनके पास आया जो की बहुत दुखी था और आते ही स्वामी विवेकानंद जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला महाराज मै अपने जीवन में खूब मेहनत करता हु हर काम खूब मन लगाकर भी करता हु फिर भी आजतक मै कभी सफल व्यक्ति नही बन पाया.
उस व्यक्ति की बाते सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा ठीक है आप मेरे इस पालतू कुत्ते को थोडा देर तक घुमाकर लाये तबतक आपके समस्या का समाधान ढूढ़ता हु इतना कहने के बाद वह व्यक्ति कुत्ते को घुमाने लेने चला गया और फिर कुछ समय बीतने के बाद यह व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास वापस लौट आया था.
तो स्वामी विवेकानंद ने उस व्यक्ति से पूछा की यह कुत्ता इतना हाफ क्यू रहा है जबकी तुम थोड़े से थके हुए नही लग रहे हो आखिर ऐसा क्या हुआ.
इसपर उस व्यक्ति ने कहा की मै तो सीधा अपने रास्ते पर चल रहा था जबकि यह कुत्ता इधर उधर रास्ते भर भागता रहा और कुछ भी देखता तो उधर ही दौड़ जाता था जिसके कारण यह इतना थक गया है.
इसपर स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराते हुए कहा बस यही तुम्हारे प्रश्नों का जवाब है तुम्हारी सफलता की मंजिल तो तुम्हारे सामने ही होती है लेकिन तुम अपने मंजिल के बजाय इधर उधर भागते हो जिससे तुम अपने जीवन में कभी सफल नही हो पाए. यह बात सुनकर उस व्यक्ति को समझ में आ गया था की यदि सफल होना है तो हमे अपने मंजिल पर ध्यान देना चाहिए.
कहानी से शिक्षा –
स्वामी विवेकानंद जी के इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की हमे जो करना है जो कुछ भी बनना है हम उपसर उतना ध्यान नही देते है और दुसरो को देखकर वैसा ही हम करने लगते है जिसके कारण हम अपने सफलता के मंजिल के पास होते हुए दूर भटक जाते है इसलिए अगर जीवन में सफल होना है तो हमेसा हमे अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.
तो आप सबको ये स्वामी विवेकानंद ki kahani कैसे लगे, कमेंट में जरुर बताये और इन कहानी को शेयर भी जरुर करे.
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Bahut acha laga ish kahani ka parh kar aur hame ish kahani se bahut sikh milti hai …..
Good thought & helpful
Nice too helpful………
Swami Vivekananda every stories are very inspirational & motivational , so I am very interested to reading story of Vivekananda , this is my favorite great person, so I am also started blogging recently on motivation & inspiration…..if you give me some knowledge …..plz thank u
Good thoughts.
Swami vivekananda ki sabhi stories mein achi sikh hoti hai..