वैसे तो बचपन मे आप अपने दादा दादी या नाना नानी से साँप और नेवला की कहानी जिसे नेवला और किसान की कहानी, नेवला और पंडिताइन की कहानी | नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी के नाम से भी जानते है, जरूर सुनी होगी, जो की यह कहानी पंचतंत्र कहानी से लिया गया गया है, जो की बहुत ही प्रसिद्ध और अच्छी सीख देने वाली कहानी है, तो चलिये इस साँप और नेवला की कहानी | Saap Aur Nevla Ki Kahani | नेवला और पंडिताइन की कहानी को यहा बताते है, जिसे पढ़कर इस कहानी से आपको अच्छी सीख मिलेगी।
नेवला और ब्राह्मण किसान की कहानी | नेवला और पंडिताइन की कहानी | नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी
Saap Aur Nevla Ki Hindi Kahani | Wife of Brahman and Mongoose Story Hindi
बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक किसान ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। जिससे वे दोनों काफी चिंतित रहते थे, फिर कुछ वर्षों के बाद उनके घर प्यारे से बच्चे ने जन्म लिया। घर मे ब्राह्मण की पत्नी अपने बच्चे को बहुत प्यार करती थी। कभी भी अपने बच्चे को अकेला नही छोडती थी,
एक दिन की बात है किसान ब्राह्मण की पत्नी को अपने घर के बाहर नेवले का छोटा-सा बच्चा दिखाई दिया, जिसे देखकर उस ब्राह्मणी को उस नेवले के बच्चे पर दया आ गई और वो उसे घर के अंदर ले गई और उसे अपने बच्चे की तरह ही उस नेवले के बच्चो को भी पालने लगी।
किसान की पत्नी बच्चे और नेवले दोनों को अक्सर पति के जाने के बाद घर में अकेला छोड़कर काम से चली जाती थी। नेवला इस दौरान बच्चे का पूरा ख्याल रखता था। दोनों के बीच का अपार स्नेह देखकर ब्राह्मण की पत्नी बहुत खुश थी।
लेकिन मन ही मन सोचती थी की कही ये नेवला मेरे बच्चे को छति न पहुंचा दे। आखिर वह नेवला भी तो जानवर ही तो है और जानवर की बुद्धि का कोई भरोसा नहीं कर सकता। समय बीतता गया और नेवला और ब्राह्मण ब्राह्मण के बच्चे के बीच का प्यार गहरा होता गया।
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एक दिन किसान ब्राह्मण अपने काम से बाहर गया हुआ था। पति के जाते ही किसान की पत्नी ने भी अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर बाहर चली गई। इसी बीच उनके घर में एक सांप घुस आया। इधर, ब्राह्मण किसान का बच्चा आराम से सो रहा था। उधर सांप तेजी से उस बच्चे की ओर बढ़ने लगा। पास में ही नेवला भी था। जैसे ही नेवले ने सांप को देखा, तो वो सतर्क हो गया। नेवला तेजी से सांप की ओर लपका और दोनों के बीच काफी देर तक लड़ाई हुई। आखिर में नेवले ने सांप को मारकर बच्चे की जान बचा ली। सांप को मारने के बाद नेवला आराम से घर के आंगन में बैठ गया।
इसी बीच ब्राह्मण की पत्नी घर लौट आई। जैसे ही उसने नेवले के मुंह को देखा, तो वह डर गई। नेवले का मुंह सांप के खून से लथपथ था, लेकिन इस बात से ब्राह्मण किसान की पत्नी कुछ और ही सोच लिया। वो गुस्से से कांपने लगी। उसे लगा कि नेवले ने उसके प्यारे बेटे की हत्या कर दी है। यही सोचते-सोचते ब्राह्मण की पत्नी ने एक लाठी उठाई और उस नेवले को पीट-पीटकर मार डाला।
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नेवले को जान से मारने के बाद ब्राह्मणी अपने बच्चे को देखने के लिए घर के अंदर तेजी से भागी। वहां बच्चा हंसते हुए खिलौनों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान उसकी नजर पास में मरे पड़े सांप पर गई। सांप को देखते ही देव कन्या को बहुत पछतावा हुआ। वो भी नेवले से बहुत प्यार करती थी, लेकिन गुस्से और अपने बच्चे के मोह में उसने बिना कुछ सोचे समझे नेवले को मार दिया था। अब ब्राह्मण की पत्नी जोर-जोर से रोने लगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
उसी समय ब्राह्मण किसान भी घर लौट आया। वह पत्नी की रोने की आवाज सुनकर दौड़ता हुआ घर के अंदर गया। उसने पूछा, “तुम क्यों रो रही हो, ऐसा क्या हो गया।” उसने अपने पति को सारी कहानी सुना दी। नेवले की मौत की बात सुनकर ब्राह्मण को बहुत दुख हुआ। दुखी मन से ब्राह्मण ने कहा, “तुम्हें बच्चे को घर में अकेले छोड़कर जाने और अविश्वास का दण्ड मिला है।”
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कहानी से सीख :-
हम किसी को भी बिना सोचे समझे गुस्से में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। साथ ही विश्वास की डोर को कभी शक की वजह से टूटने नहीं देना चाहिए। अगर गुस्से मे बिना सोचे विचारे कोई काम करते है, तो निश्चित ही हमे पछतावा ही मिलता है, जैसा की कहा भी गया है –
अर्थात जो व्यक्ति अकारण ही गुस्सा करते है, उन्हे अक्सर अपने गुस्सा से किए गए कार्यो से नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए हमे हमेसा कोई कार्य करने से पहले हमे सोच विचार जरूर कर लेना ताकि हमे आगे चलकर कोई पछातवा न करना पड़े।
आप सभी को यह नेवला और किसान की कहानी | नेवला और पंडिताइन की कहानी | नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी, Saap Aur Nevla Ki Hindi Kahani कैसा लग, कमेंट बॉक्स मे जरूर बताए।
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