वो कहते है, अगर आप अपने काम के प्रति ईमानदार है, और आपके मन मे कोई भी लालच नही है, तो निश्चित ही वो सब आपको मिलता है, जो आप सोचते है, इसलिए ईमानदारी को सर्वोच्च नीति कहा गया है, तो चलिये आज इसी सोच पर आधारित ईमानदारी का इनाम एक कहानी बताने जा रहे है, जिससे हमे ईमानदार होने की एक अच्छी सीख मिलती है, तो चलिये इस कहानी को अब जानते है,
ईमानदारी का इनाम एक कहानी
Gift of Honesty Story in Hindi
एक गाँव मे एक गरीब किसान रहता था, उसका एक बेटा था, जिसका नाम संजय था, जो की पढ़ने मे बहुत ही होनहार और ईमानदार था, उसे अपने माता पिता से बचपन से अच्छे संस्कार मिले थे, जिस कारण से वह लोगो का बहुत ही प्रिय था, हर कोई उसके व्यवहार से खुश रहता था, जब संजय अपनी पढ़ाई पूरी कर लिया तो उसके माँ बाप ने घर की रोजी रोटी चलाने के लिए उसे शहर भेजना चाहा,
जिस पर संजय अपनी माँ बाप की ये इच्छा सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुआ और फिर रोजगार की तलास मे वह दूर शहर निकल गया, वह जिस बस से शहर जा रहा था, वह बस रास्ते मे लोगो को भोजन करने के लिए एक होटल पर रुकी, सबने चाय पानी और खाना खाकर वापस उस बस मे बैठ गए, उसी होटल से एक व्यापारी भी उस बस मे बैठ गए, जो की उन्हे भी उसी शहर मे जाना था, वे उनके पास एक बैग था, जो की संजय के पास ही रखकर बस मे यात्रा करने लगे,
फिर बस जब शहर पहुचा तो सभी लोग उतरकर अपने अपने अपने मंजिल की तरफ जाने लगे, और जल्दबाज़ी मे वह व्यापारी अपना बैग संजय के पास ही भूल गए, तो फिर जब संजय बस से उतरने लगा तो देखा की वह व्यापारी जल्दी से अपनी किसी गाड़ी जो की उनके लेने आई थी उसमे बैठकर चले गए,
फिर संजय जो की बहुत ही ईमानदार लड़का था, उसने बैग खोलकर देखा तो उसमे तो ढेर सारे पैसे भरे थे, फिर वह उन पैसो को लेने के बजाय उस बैग को व्यापारी को वापस करने का मन बनाया, फिर बैग मे उसे ढुढ्ने पर एक डायरी मिला जिसमे उस व्यापारी के घर का पता लिखा, फिर संजय ने बिना देर किए लोगो से वह पता पूछकर उस व्यापारी के घर जाने लगा,
उधर वह व्यापारी जब घर पहुचा तो उसे ख्याल आया की उसने जो व्यापार के पैसे वापस लाये थे, नोटो से भरा बैग तो उसके पास था ही नहीं, अब तो उस व्यापारी का दिमाग घूमने लगा क्यूकी उस बैग लाखो रुपए थे, उस व्यापारी ने बहुत ने याद करने की कोशिश की वह बैग कहा भुला है, लेकिन उस कुछ भी याद नहीं आ रहा था, अब तो चिंता के मारे व्यापारी की हालत खराब होने लगी थी,
वह व्यापारी यही सब बैठे सोच रहा रहा था की अचानक उसके दरवाजे पर एक गाड़ी आकर रुकी जो की जान पहचान का नही लग रहा था, फिर उस गाड़ी मे संजय बैग लाकर नीचे उतरा, तो संजय और बैग को देखते ही सबकुछ याद आ गया था की वह तो अपना बैग बस मे ही भूल आया था,
इतने मे संजय उस बैग के साथ व्यापारी के पास पहुच गया और उस बैग को व्यापारी को थमाते हुए बोला सेठ जी यह आपका बैग है जो की आप बस मे भूल गए थे, बैग को वापस पाकर बहुत ही खुश हुए, और फिर सेठ ने उस बैग से कुछ पैसे निकालकर संजय के हाथो मे रखने लगे और बोले बेटा मै तुम्हारे ईमानदारी से बहुत खुश हु, अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो इन पैसो के लालच मे आकर बैग लेकर चला जाता लेकिन तुम ईमानदार हो जो की अपनी ईमानदारी के चलते नोटो से भरे बैग को वापस करने आए, यह लो तुम्हारी ईमानदारी का इनाम,
लेकिन संजय के तुरंत हाथ जोड़ लिया बोला सेठ जी मेरे माता पिता ने जो सिखाया है, आज मैंने वही किया है, किसी दूसरे की वस्तु मै नहीं ले सकता, सो मैंने इसे वापस करने आपके पास आया, सेठ संजय की यह बाते सुनकर बहुत ही खुश हुआ और कहा जिसके माता पिता इतने संस्कारी होंगे वही ऐसी शिक्षा अपने औलाद को देंगे, सो वह तुम्हारे ईमानदारी का इनाम ही है, इसे अपने पास रख लो,
तो संजय हाथ जोड़कर विनती करने लगा की सेठ जी अगर आप सचमुच मेरे ईमानदारी से प्रभावित तो हमे इन पैसे के बदले कोई काम दीजिये, जिससे मै मेहनत करके ऐसे पैसे कमा सकु
संजय की यह बाते सुनकर सेठ जी ने ठीक आज से तुम मेरे यहा सारा लेनदेन का कामकाज देखोगे, इस तरह उस सेठ ने ईमानदार संजय को अपने यहा काम पर रख लिया था, और संजय को अपने ईमानदारी का असली इनाम मिल चुका था।
कहानी से सीख –
इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की हमे अपनी जीवन मे हमेसा ईमानदारी के साथ रहना चाहिए, अगर हम ईमानदारी से रहते है, जीवन मे कठिन से कठिन परिस्थिति भी आसान हो जाती है, और हमे जीवन जीने का सही रास्ता मिल जाता है।
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