Bina Vichare Soch Lena Ek Chhoti Kahani
बिना विचारे सोच लेना एक छोटी कहानी
बिना बिचारे कोई कार्य करना अक्सर दुखदायी हो सकता है, इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में एक बार तो जरुर सोचना चाहिए, ताकि आगे चलकर हमे पश्चाताप नही करना पड़े. तो Hindi Story में आपको बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय वाली सोच की कहानी बताने जा रहे है, जिससे काफी महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है.
बिना विचारे सोच लेना एक छोटी कहानी
Bina Vichare Soch Lena Ek Chhoti Story
हर किसी के जीवन में कभी कभी ऐसे पल आते थे जिसमे इन्सान किसी के प्रति इतना जल्दी सोच लेता है और खुद ही निर्णय ले लेता है वह जैसा सोचता है लोग वैसे नही होते है लेकिन कभी भी जल्दबाजी में लिया गया निर्णय सही नही होता है क्यूकी जल्दबाजी में किसी के प्रति सोचना भी इसके उलट हो सकता है इसलिए हम अपने जीवन में जो भी निर्णय ले निर्णय लेने से खूब अच्छे से विचार कर ले तभी किसी ठोस निर्णय पर पहुचे.
जैसा की गिरधर जी ने भी कहा है –
तो आईये जानते है एक छोटी सी कहानी के माध्यम से जो जल्दबाजी की सोच पर आधारित है की किस प्रकार जल्दबाजी में सोचा गया हमारा विचार भी गलत हो सकता है.
जल्दबाजी का फैसला एक छोटी कहानी
Bina Vichare Faisala Lena Ek Chhoti Kahani
एक छोटी लड़की अपने पिताजी के साथ पार्क में खेल रही थी इतने में एक सेव बेचने वाला वहा से गुजरा जिसे देखकर उस छोटी लड़की ने अपने पिताजी से सेव खरीदने को कहा तो उस लड़की के पिताजी तो ज्यादा पैसे अपने साथ लाये नही थे तो उन्होंने 2 सेव खरीद लिए और अपनी बेटी को दे दिया,
और बेटी के हाथो में सेव रखते हुए बोले की क्या इन सेवो में से मुझे भी खिलाओगी यह सुनते ही उस छोटी लड़की ने तुरंत एक सेव अपने दातो से काट लिया और उसके पिता कुछ बोल पाते इतने में उस छोटी लड़की ने दूसरा सेव भ अपने दातो से काट लिया,
अपनी बेटी की इस हरकत को देखकर उसके पिता बहुत ही आश्चर्यचकित थे और मन ही मन सोचने लगे की उसकी बेटी के मन में लालच है इसलिए उसकी बेटी अपनी सेव साक्षा करने में ऐसा कर रही है और ये सब सोचते हुए बहुत ही गहरी चिंता में डूब गये, चेहरे से प्रसन्नता गायब हो चुकी थी.
लेकिन इतने में ही अचानक उसकी बेटी ने अपने पिताजी के हाथ पर एक सेव रखते हुए कहा की “पिताजी यह सेव बहुत ही प्यारा और स्वादिष्ट है और मीठा भी बहुत है इसे आप खाईये” यह सब बाते सुनकर उस लड़की के पिताजी अवाक थे और पलभर पहले ही अपनी बेटी के बारे में न जाने क्या क्या सोच लिया था और फिर उन्हें लगा की अब वह जल्दबाजी में कभी भी ना सोचेगे क्यू जल्दबाजी का निर्णय गलत भी हो सकता है और इस प्रकार अपने बेटी के इस कार्य से एक बार फिर से उनके चेहरे पर मुस्कान वापस आ गयी और फिन मन ही मन अपने बेटी पर गर्व करने लगे थे,
नैतिक शिक्षा
किसी भी चीज को तुरंत सोचकर किसी ठोस निर्णय पर न जाए चीजो को समझने के लिए वक्त देना बहुत ही जरुरी होता है क्यूकी जल्दबाजी में लिया गया निर्णय गलत भी हो सकता है.
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