Hindi Story Of Bad Education Bad Result
कहानी बुरी शिक्षा का बुरा नतीजा
बहुत समय पहले की बात है एक नगर में एक रामू नाम का एक व्यापारी रहता था जो की बहुत की कंजूस और चालक किस्म का इन्सान था वह हमेसा ज्यादा से ज्यादा धन कमाने के बारे में ही सोचता था इसलिए ज्यादा से ज्यादा धन के लिए वह सारे उपाय लगाता था जिससे उसकी आमदनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, जिसके लिए वह अपने दुकान के वस्तुओ में मिलावट करके बेचता था और ऐसा करने के लिए अपने परिवार वालो को भी कहता था.
और जब भी मिलावट करके वह वस्तुओ को बेचता था तो कभी कभी उसका बेटा जिसका नाम श्याम था वह पूछता भी था की पिताजी आप सभी चीजो में मिलावट करके क्यू बेचते है तो रामू कहता था की यदि वह लोगो को शुद्ध चीजे बेचेगा तो ज्यादा शुद्ध चीजो से लोगो के नुकसान हो सकता है और सेहत भी बिगड़ सकती है शुद्ध चीजे लोगो के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसलिए लोगो के सेहत का ख्याल करके वह मिलावट करके चीजो को बेचता था और इस तरह अपने बेटे और अपने परिवार वालो को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करता था और तो मिलावट का काम अपने बेटे श्याम को भी सीखा दिया था
जिससे अक्सर उसके दुकान में लोगो के मिलावट की शिकायते भी आती रहती थी जिससे श्याम सोच में पड़ जाता था की पिताजी तो शुद्ध चीजे खाने से सेहत के लिए हानिकारक है लेकिन इसके उल्टा लोग शिकायत ही करने आते है और वह अक्सर देखता था की पिताजी घर के लिए जो वस्तुए निकालते थे उसमे तो कोई मिलावट नही करते थे जिससे श्याम चुपके से घर के वस्तुओ में मिलावट कर देता था जिससे यह बात किसी को पता नही चलता था लेकिन रामू जब खाने बैठता था तो उसको यह अहसास जरुर हो जाता था की घर के खाने के वस्तुओ में मिलावट हुई है लेकिन खुद पर विश्वास होने के कारण रामू मिलावट की बात किसी से कह नही पाता था
फिर धीरे धीरे कुछ समय बीतने के पश्चात एक दिन रामू बीमार पड़ गया और उसकी ऐसी कमजोर स्थितिआ गयी की वह अब खाट से भी उठने लायक नही रहा इसलिए अब उसे खाट में पड़े ही भोजन और दूध पीकर जीवन गुजरना पड़ रहा था
और इस तरह दूध भोजन आदि श्याम अपने पिताजी को दिया करता था उसे ख्याल आता था की पिताजी ने कहा की शुद्ध चीजे खाने से बीमार पड़ सकते है इसलिए वह जब भी दूध आदि देता था तो शुद्धता होंने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए वह आधा दूध खुद पीकर बाकी में पानी में मिलाकर पिताजी को दिया करता था जिस कारण से रामू को भी आभास होता था की दूध में पानी की मिलावट है लेकिन घर का दूध होने के कारण उसे मिलावट होने की स्थिति पर शक नही होता था
लेकिन उसकी दिन प्रतिदिन कमजोरी बढती ही रही थी तो उसे शक होने लगा था की हो ना हो दूध में मिलावट जरुर हो रहा है तो इसी बात का पता लगाने के लिये एक दिन चुपके से अपने श्याम पर ध्यान देने लगा तो देखा की उसका बेटा दूध लाने से पहले खुद ही आधा दूध पीकर बाकि में पानी मिलाकर ला रहा है रामू यह स्थिति देखकर दंग रह गया था उसे अपने बेटे को ऐसा करते हुए देखकर विश्वास नही हो रहा था लेकिन फिर भी हैरान था
इतने में श्याम दूध लेकर अपने पिताजी के पास आ गया तो रामू ने तुरंत पूछ लिया “जो तुम मुझे दूध लाते हो उसमे पानी क्यू मिलाते हो, क्या तुम्हे पिने के लिए घर में और दूध नही है क्या? पिताजी से यह प्रश्न सुनकर श्याम बोला “पिताजी आप ही तो कहते है की शुद्ध चीजे खाने पिने से सेहत के हानिकारक होता है इसका बुरा असर होता है इसलिए माँ तो दूध में पानी तो नही मिलाती थी लेकिन मैंने आपके सेहत के सुधार के लिए दूध में पानी मिलाकर देता था ताकि आपके सेहत पर इस शुद्ध दूध से कोई नुकसान नही पहुचे, जिस कारण से आपकी बीमारी और भी ना बढ़ जाय, इसलिए मै ऐसा करता हु”
श्याम की बाते सुनकर अब रामू को अपने गलती का अहसास हो चुका था की उसने अपने बेटे और अपने घर वालो को गलत शिक्षा दिया है जिसक दुष्परिणाम आज उसे खुद उठाना पड़ रहा है अगर वह सही शिक्षा दिया होता तो उसे मिलावट की चीजो को खाना ही पड़ता, जिससे वह इतना भयंकर तरीके से बीमार तो नही पड़ता, लेकिन अब क्या अब तो देर हो चुकी थी जो होना था हो चुका था, अब तो सिर्फ पछतावे और गलती को सुधारकर ही सही से जीवन व्यतीत कर सकता था,
इसके बाद रामू ने प्रण लिया की अब वह कभी धन के लिए ऐसे गलत काम नही करेगा और मिलावट का काम छोड़ देंगा और इस तरफ रामू अपने परिवार वालो को भी अपनी सारी गलती बता दिया और आगे से सबको अच्छे राह पर चलने की सीख देने लगा. इस तरह रामू खुद को अच्छाई करने का शिक्षा दे दिया था
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से यही पता चलता है की रामू ने जो गलत रास्ता अपनाया था उसका बुरा असर खुद के बिगड़े सेहत और बीमारी के रूप में मिल चुका था फिर उसने अपनी गलती का पश्चाताप करते हुए कभी भी मिलावट करने की शिक्षा पा चुका था और इस सही शिक्षा को अपने घर वालो को भी दिया
इस तरह इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है की हमे धन कमाने के लिए कभी भी गलत मार्ग का सहारा नही लेना चाहिए, और कभी भी लोगो को धोखा नही देना चाहिए क्युकी अगर हम किसी के छल कपट करते है तो निश्चित ही ऐसा छल कपट और धोखा खुद के साथ हो सकता है इसलिए हमे अपने आने वाली पीढ़ी को हमेसा सही कार्य करने की शिक्षा देनी चाहिए जिसका परिणाम भी आगर चलकर सुखद देखने को मिल सकते है और बुरे काम का हमेसा बुरा ही नतीजा निकलता है.
इन पोस्ट को भी पढे :–
- अच्छे और बुरे व्यक्ति की पहचान महाभारत की कहानी
- अध्यापक की सच्ची भावनात्मक कहानी
- अब्दुल कलाम की सफलता की कहानी
- अरुणिमा सिन्हा के बुलन्द हौसलो की कहानी
- अवसर की पहचान एक कहानी